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सात छेद वाली मैं
सात छेद वाली मैं
प्रकाशक :
निरुपमा प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2011 |
पृष्ठ :64
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 8268
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आईएसबीएन :978-93-81050-3 |
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सात छेद वाली मैं
Saat Chhed Wali Main - A Hindi Book - by Dr. Sudha Gupta
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नीराजना
हे माँ शारदे!
तू मुझको तार दे
तेरी देहरी
आऊँ भाव-हार ले
वर बार-बार दे
माँ! तेरे द्वार
एक यही गुहार
तेरी बालिका
लिये शब्द-मालिका
तू उन्हें सँवार दे।
कई वर्ण के
खिले औ’ अधखिले
फूल जो मिले
जैसे-जैसे गूँथे हैं
माँ! उन्हें स्वीकार ले!
आँखों के दीप
साँसों का नेह लिये
प्राणों की बाती
बनी है नीराजना
अर्चना साकार, ले!
बाँसुरी अष्टक
सुनो जी कान्हा!
सात छेद वाली मैं
खाली ही ख़ाली
तूने अधर धरी
सुरों की धार बही
बाँस की पोरी
निकम्मी, खोखल में
बेसुरी, कोरी
तूने फूँक जो भरी
बन गई ‘बाँसुरी’
कोई न गुन
दो टके का न तन
तूने छू दिया
कान्हा! निकली धुन
लो, मैं ‘नौ लखी’ हुई
छम से बजी
राधिका की पायल
सुन के धुन
दौड़ पड़ गोपियाँ
उफनी है कालिन्दी
तेरा ही जादू
दूध पीना भूला है
गैया का छौना
चित्र-से मोर, शुक
कैसा ये किया टोना
गोपी का नेह
अनूठा, निराला है
सास के ताने
पति-शिशु का मोह
छोड़ जाने वाला है
आज भी कान्हा
बजा रहे बाँसुरी
निधि-वन में
लोक-लाज छोड़ के
दौड़ी राधा बावरी
पुस्तक का नाम
सात छेद वाली मैं
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